Kanneda Web Series: विदेश आकर्षण का काला चेहरा दिखाएगी नई वेब सीरीज ‘कन्नेडा वेब सीरीज’, जानिए कब और कहां देखने को मिलेगी

दोस्तों, कन्नेडा वेब सीरीज की कहानी समझने के लिए हमें नरेटर मोहम्मद जीशान अय्यूब के शब्दों में इस कहानी को समझने की कोशिश करनी चाहिए। यह कहानी है दोस्तों, जहां दो देश बस्ते हैं: एक गोरो की फर्स्ट वर्ल्ड कंट्री, कैनेडा, और दूसरा थर्ड वर्ल्ड कंट्री से आए लोगों का कन्नेडा, जिनमें रहने वाले लोगों को सेकंड क्लास सिटिजन समझा जाता था। यह कहानी इन्हीं में रहने वाले एक ऐसे लड़के, निर्मल चहल उर्फ निम्मा परमीश वर्मा, की हैं, जो दोस्तों, कैनेडा और कन्नेडा के बीच के फर्क को मिटाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है।

कन्नेडा वेब सीरीज की कहानी

दोस्तों, इस कहानी की शुरुआत होती है साल 1984 के दंगों के बाद अपना पिंड पंजाब छोड़कर वैंकूवर में बसा निर्मल चहल पढ़ाई, खेल-कूद और म्यूजिक में हमेशा आगे रहता था। स्कूल में वह विदेशियों के खेल रग्बी में सेलेक्ट होने वाला पहला ब्राउन लड़का बनता है। मगर विदेशी चालाकी से डग रखने के जुर्म में फंसा कर टीम से बाहर निकलवा देते हैं। इसके बाद निर्मल चहल को विश्वास हो जाता है कि वह कितनी भी मेहनत कर ले, वह खुद को सीनियर समझने वाले कनाडा वासी उसे कभी इज्जत नहीं देंगे। इसलिए वह सोचता है कि ताकत और पैसा पाकर इज्जत कमाने का फैसला करता है।

वह अपने लिए हुए फैसले को पूरा करने के लिए निर्मल चहल अपने दोस्त दलजीत के साथ अंडरग्राउंड रैप में पंजाबी म्यूजिक में अपना नाम बनता है। और साथ ही ड्रग डीलर सरबजीत सिंह रंधावा के साथ गैरकानूनी धंधे में भी काम करने लगता है। वक्त के साथ पता ही नहीं चलता कि वह कब इस दलदल में फंसता जा रहा है; उसे पता ही नहीं चला कि कब उसका यह फैसला उसे कहां पर ले जाकर छोड़ने वाला है। ‌

कन्नेडा वेब सीरीज रिव्यू:

कनाडा वेब सीरीज को चंदन अरोड़ा के डायरेक्शन में बनाया गया हैं। दोस्तों, इस वेब सीरीज का मूल आइडिया रोचक हैं। क्योंकि इन दिनों में विदेश में जिस तरह से प्रवासियों के साथ भेदभाव हो रहा है, ऐसे में इसकी भूमिका और अहम हो जाती हैं। यह कहानी, दोस्तों, विदेशी धरती पर एक देसी लड़के के अपना अस्तित्व और अपना सम्मान खोजने की जिद को दिखाती है, जो शुरू में आकर्षित करती है, लेकिन जिस तरह कहानी का नायक निर्मल चहल गलत रास्ता पकड़ लेता है, वैसे ही स्क्रीनप्ले भी जल्दी ही अपनी धार खो को देती हैं।

दोस्तों, पटकथा में कुछ गहराई की कमी नजर आती है। खासकर जब म्यूजिक वाले पक्ष को कुछ चंद रिकॉर्डिंग, मीटिंग, इंटरव्यू में समेट दिया गया है, जबकि वह एक बड़ा अच्छा हो सकता था। इसके बाद ड्रग रैकेट वाले ट्रैक में भी निर्मल चहल के उतार-चढ़ाव के समय को सही से स्टैबिलिश नहीं किया गया है। देखने में ऐसा लगता है जैसे कहानी को जल्दी-जल्दी पूरी करने की हड़बड़ी हो।

उसके बाद दोस्तों, उनके दोस्त के रूम में आदर मलिक और गर्लफ्रेंड बनी जैस्मिन बाजवा ने भी अपनी भूमिका अच्छे से निभाई हैं। इन नए चेहरों की वजह से वेब सीरीज में नयापन लगता हैं। वही, डग माफिया के लीडर बने अरुणोदय सिंह काले धंधे चलाने वाले सफेदपोश रंजीत के रूप में रणवीर शौरी और पुलिस वाले के साथ नरेटर के रोल में मोहम्मद जीशान अय्यूब कहानी को मदद जरूर करते हैं। ‌

दोस्तों, वेब सीरीज को 25-25 मिनट के बाद में तेजी से आगे बढ़ाते हैं कि आप इसे एक बार में आराम से देख सकते हैं। जीशान अययुब की बॉडी लैंग्वेज में पुलिस वाली तेजी कुछ कब नजर आती है। इसके अलावा, नेगेटिव भूमिकाओं में अरुणोदय सिंह टाइपकास्ट हो गए हैं। अगर बात करें दोस्तों, सीरीज के म्यूजिक को लेकर काफी चर्चा थी, पर टाइटल ट्रैक ‘देसिया दा दौर चले’ के अलावा कोई और गाना याद नहीं रहता।

जिस तरह से परमीश वर्मा ने अपने पहले ओटीटी शो में यह किरदार निभाया है, आप उससे जुड़ा महसूस करते हैं। निर्मल चहल के दर्द, गुस्से और महत्वाकांक्षा को परमीश वर्मा ने खूब सच्चाई से जीया हैं। वही वेब सीरीज की जान हैं।

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